Hello friends ! Two lines shayari is the best collection in hindi poetry who attract your friends, girlfriend/boyfriend, wife/husband or any person attraction towards you. In current time people don't have time or like to read lenghty shayari and that reason we mostly all time sharing 2 line shayari that is in hindi and english language with use of easily understandable words.




A good Collection of Two Line Shayari in Hindi or Short Hindi Shayari to melt every heart with feelings of love and care. These दो लाइन शायरी consists fits for all mood, including romantic, dard & pyar,etc. types.





Read these collection of Two Line Shayari or Short Shayri with emotion like Love, Sadness, Hate, Attraction and express your feeling with your love and partner. Also you are free to share these Two Line Shayri or Short Shayri at social media like Facebook, Twitter and WhatsApp.

ज़िन्दगी की हर शाम हसीन हो जाए….,
अगर मेरी मोहब्बत मुझे नसीब हो जाये

बेगुनाह कोई नहीं, राज़ सबके होते हैं,
किसी के छुप जाते हैं, किसी के छप जाते हैं |

खुले आसमान के निचे बैठा हूँ …कभी तो बरसात होगी …..
एक बेवफा से प्यार किया हैं तो ज़िन्दगी कभी तो बर्बाद होगी

 कुछ लडकिया तो इतनी सुन्दर होती है के ,
मैं मन ही मन में खुद को रिजेक्ट कर लेता हु..

 हमे भी आते है अंदाज दिल तोडने के,
हर दिल मे खुदा बसता है ये सोच कर चूप हो जाते है..

 काश…!! एक खवाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
वो आ कर गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर..

 चलकर देखा है अक्सर, मैंने अपनी चाल से तेज,
पर वक्त, और तकदीर से आगे, कभी निकल न सके..

गुज़र गया दिन अपनी तमाम रौनके लेकर,
ज़िन्दगी ने वफ़ा कि तो कल फिर सिलसिले होंगे..

 कुछ ऐसी मोहहब्बत उसके दिल में भर दे ऐ खुदा ,
के वो जिसे भी चाहे वो मैं बन जाऊ..

 तेरी वफ़ा के तकाजे बदल गये वरना,
मुझे तो आज भी तुझसे अजीज कोई नहीं..

ज़िन्दगी की हक़ीक़त बस इतनी सी हैं,
की इंसान पल भर में याद बन जाता हैं

पास वो मेरे इतने कि दूरियो का कोई एहसास नहीं,
फिर भी जाने क्यों वो पास होकर भी मेरे पास नहीं

रुकावटें तो सिर्फ ज़िंदा इंसान के लिए हैं,
मय्यत के लिए तो सब रास्ता छोड देते हैं

कौन याद रखता हैं गुजरे हुए वक़्त के साथी को,
लोग तो दो दिन में नाम तक भुला देते हैं |


गम ए आरज़ू तेरी आह में, शब् ए आरज़ू तेरी चाह में,
जो उजड़ गया वो बसा नहीं, जो बिछड़ गया वो मिला नहीं

मुझे तलाश हैं एक रूह की, जो मुझे दिल से प्यार करे,
वरना इंसान तो पेसो से भी मिल जाया करते हैं |

 हम तो नरम पत्तों की शाख़ हुआ करते थे,
छीले इतने गए कि खंज़र हो गए..

नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियान,
वो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा..

 पूरा दिन गुजर गया और तुमने याद तक ना किया,
मुझे नहीं पता था की इश्क़ में भी इतवार होता है..

 “सुकून” की बात मत कर ऐ ग़ालिब,
बचपन वाला” इतवार”अब नहीं आता।

जरा सी जगह छोड देना अपनी नीदो मै,
क्योकि आज रात तेरे ख्बाबो मै हमारा बसेरा होगा..

छुपे छुपे से रहते हैं सरेआम नहीं हुआ करते,
कुछ रिश्ते बस एहसास होते हैं उनके नाम नहीं हुआ करते..

मेरा होकर भी गैर की जागीर लगता है,
दिल भी साला मसलाऐकश्मीर लगता है..

 तेरी यादोँ के नशे मेँ अब चूर हो रहा हूँ,
लिखता हूँ तुम्हेँ और मशहूर हो रहा हूँ..

दिल में आने का रस्ता तो होता हैं लेकिन जाने का नहीं…….,
इसलिए जब कोई दिल से जाता हैं तो दिल तोड़ कर ही जाता हैं|


आखिर क्यों बस जाते हैं दिल में बिना इजाज़त लिए ?
वो लोग जिन्हे हम ज़िन्दगी में कभी पा नहीं सकते

गुजरा हैं मोहब्बत में कुछ ऐसा भी ज़माना,
रूठा हूँ अगर तो मनाया था हमे भी किसी ने

चले जायेंगे एक दिन तुझे तेरे हाल पर छोड़कर,
कदर क्या होती हैं प्यार की तुझे वक़्त ही सीखा देगा |

जब लगा सीने पे तीर तब हमे इतना दर्द नहीं हुआ …..ग़ालिब,
ज़ख्म का एहसास तो तब हुआ जब कमान अपनों के हाथ में दिखी

दोस्त हो या दुश्मन ताल्लुक बस इतना ही रहे
बदले की भावना कभी अपने मन में ना रहे….

सच्ची मोहब्बत एक जेल के कैदी की तरह होती हैं
जिसमे उम्र बीत भी जाए तो सजा पूरी नहीं होती |

करीब आओ ज़रा के तुम्हारे बिन जीना है मुश्किल,
दिल को तुमसे नही तुम्हारी हर अदा से मोहब्बत है..

वो बड़े ताज्जुब से पूछ बैठा मेरे गम की वजह,
फिर हल्का सा मुस्कराया, और कहा, मोहब्बत की थी ना..

जो भी आए हॆ नज़दीक ही बेठे हॆ तेरे,
हम कहाँ तक तेरे पहलू से सरकते जाएँ..

 ना सोना, ना चांदी और ना काला धन चाहिए,
जो मेरे दिल में रहता है वही साजन चाहिए..

 आंख मे आंख डालकर बात तो करके देखता,
इतना भी एतमाद उसे अपनी निगाह पर नही..

 किसी को भूलें भी तो कैसे?
भूलाने के लिये याद भी तो करना पडता है..

 मोहब्बत खुद बताती है, कहाँ किसका ठिकाना है,
किसे आँखों में रखना है, किसे दिल में बसाना है..

आज भी मेरे बदन से आती है तेरी साँसों की ख़ुश्बू,
तेरे बाद किसी को सीने से लगाया नही है मैने..

जो था मेरे कभी मुस्कुराने की वजह,
आज उसकी कमी ने मेरी पलको को भिगो दिया..

उड़ जायेंगे तस्वीरों से, रंगो की तरह हम
वक़्त की टहनी पर हैं, परिंदो की तरह हम


रेस वो लोग लगाते है जिसे अपनी किस्मत आजमानी हो,
हम तो वो खिलाडी है जो अपनी किस्मत के साथ खेलते है

कुछ इम्तिहानो को, कुछ जुबानो को, बंद आँखों से सह गए वो
ना कमजोरी थी, ना ही जी हुजूरी थी
बस कुछ मज़बूरी थी जो अपना हर कदम कांटो पर चल गए वो

प्यार में डूब कर देखो, एक अलग ही नजारा हैं
इस चाहत भरी दुनिया में, एक नाम हमारा हैं|

कभी तो ऐसी भी हवा चले
कौन कैसा है पता तो चले


दो लाइन्स उनके लिए
जो ज़िन्दगी के दुखो से परेशान हैं,
ज़िन्दगी की उलझनों में फंस गए हैं:

 “दुखो के बोझ में ज़िन्दगी कुछ इस तरह डूबे जा रही हैं
की मेरी हर एक चाहत, हर एक आस टूटे जा रही हैं|”

 न मेरा नाम था,न दाम था बाजारे मोहब्बत मे,
तुमने भाव पूछकर अनमोल कर दिया ..

 उसको छूना जुर्म है तो मेरी सजाएमौत का इंतजाम करो,
मेरे दिल की जिद है की आज उसे सीने से लगाना है..

इजाजत हो तो मैं भी तुम्हारे पास आ जाऊँ,
देखों ना चाँद के पास भी तो एक सितारा है..

 अच्छा हुआ कि तूने हमें तो़ड़ कर रख दिया,
घमंड भी तो बहुत था हमें तेरे होने का..

 दिल में छुपा रखी है मुहब्बत तुम्हारी काले धन की तरह,
खुलासा नहीं करता हुँ कि कही हंगामा ना हाे जाये..

 तेरा नजरिया मेरे नजरिये से अलग था,
शायद तूने वक्त गुजारना था और हमे सारी जिन्दगी..

 यूँ तो मशहूर हैं अधूरी मोहब्बत के किस्से बहुत से,
मुझे अपनी मोहब्बत पूरी करके नई कहानी लिखनी हैं..

 अजीब दस्तूर है मोहब्बत का,
रूठ कोई जाता है टूट कोई जाता है..

आंखों देखी कहने वाले, पहले भी कमकम ही थे,
अब तो सब ही सुनीसुनाई बातों को दोहराते है..

 ग़ैरों को भला समझे और मुझ को बुरा जाना,
समझे भी तो क्या समझे जाना भी तो क्या जाना..

 चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी,
लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है..

किसी ने क्या खूब कहा है
सिर्फ गुलाब देने से अगर मोहब्बत हो जाती,
तो माली सारे ‘शहर’ का महबूब बन जाता…


रूठे हुए को मनाना तो दस्तूर-ए-दुनिया…..,
पर रूठे की मानना क्यों नहीं सीखती दुनिया

आज ऊँगली थाम ले मेरी, तुझे मैं चलना सिखलाऊँ
कल हाथ पकड़ना मेरा, जब मैं बुढा हो जाऊं …!!!!

मेरी हैसियत से ज्यादा मेरे थाली में तूने परोसा है,
तु लाख मुश्किलें भी दे दे मालिक, मुझे तुझपे भरोसा है।

बदन के घाव दिखा कर जो अपना पेट भरता है,
सुना है, वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है!


हम से खेलती रही दुनिया ताश के पत्तो की तरह,
जिसने जीता उसने भी फेका जिसने हारा उसने भी फेका !

ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो, दर्द की शिद्दत,
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या !!

तेरी मोहब्बत तेरी वफ़ा तेरा इरादा तू जाने..
में करता हूँ सिर्फ और सिर्फ तुझसे ही मोहब्बत ये मेरा खुदा जाने..

तुम को चाहने की वजह कुछ भी नहीं..!!
बस इश्क़ की फितरत है बेवजह होना..!

 मेरी धड़कनों की रवानगी तेरा ही नाम दोहराती है..!!
ये रहती है मेरे सीने में तेरी सिफारिश लगाती है..!!

मैं तुमसे बेहतर लिखती हूँ पर जज्बात तुम्हारे अच्छे हैं,
मैं तुमसे बेहतर दिखती हूँ पर अदा तुम्हारी अच्छी..

 तेरे बिछड़ने का दर्द रूह की गहराईयो में है,
जुदा होकर भी तू मेरी तन्हाईयो में है ..

 सिर्फ बेहद चाहने से क्या होता है,
नसीब भी होना चाहिए किसी का प्यार पाने के लिए..

लाकर तेरे करीब मुझे दूर कर दिया,
तकदीर भी मेरे साथ इक चाल चल गई..

 वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला,
बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए..

 मुझे क्या पता तुमसे हसीन कोई है या नही,
तुम्हारे सिवा कभी किसी को गौर से देखा ही नहीं..

हद से बढ़ जाये ताल्लुक़ तो गम मिलते हैं,
हम इसी वास्ते हर शख्स से कम मिलते हैं..

अच्छा लगता हैं तेरा नाम मेरे नाम के साथ,
जैसे कोई खूबसूरत सुबह जुड़ी हो, किसी हसीन शाम के साथ !


“रिश्ता” दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं,
“नाराजगी” शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!

पढ़ रहा हूँ मै इश्क़ की किताब ऐ दोस्तों……
ग़र बन गया वकील तो बेवफाओं की खैर नही

ना शौक दीदार का… ना फिक्र जुदाई की,
बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो…मोहब्बत नहीँ करतेँ

पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में,
नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है…!!

छोटा बनके रहोगें तो, मिलेगी हर बड़ी रहमत दोस्तों
बड़ा होने पर तो माँ भी, गोद से उतार देती है……..!!

मुकाम वो चाहिए की जिस दिन भी हारु ,
उस दिन जीतने वाले से ज्यादा मेंरे चर्चे हो

रोज ढलता हुआ सूरज कहता है मुझसे,
आज उसको बेवफा हुए एक दिन और बीत गया ।

जो एक गुलाब उसने दिया था मेरे हाथ में,
सूखा हुआ भी वो गुलाब पूरे गुलशन पे भारी था..

 कभी मतलब के लिए तो कभी बस दिल्लगी के लिए,
हर कोई मोहब्बत ढूँढ़ रहा है यहाँ अपनी ज़िन्दगी के लिए..

बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर,
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है..

 मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना..

 एक घड़ी ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध ली,
वक़्त पीछे ही पड़ गया मेरे..

मेरी आँखों में आँसू नहीं, बस कुछ नमी है,
वजह तू नहीं, तेरी ये कमी है..

 ठुकराया हमने भी बहुतों को है तेरी खातिर,
तुझसे फासला भी शायद उनकी बददुआओं का असर है..

 क्या बतायें हमारी निगाह में क्या हो तुम,
खुदा का डर है वरना कह दूँ ,खुदा हो तुम..

खूबियाँ इतनी तो नही हम में कि तुम्हे कभी याद आएँगे पर,
इतना तो ऐतबार है हमे खुद पर आप हमे कभी भूल नही पाएँगे..

 मैं तेरे नसीब की बारिश नहीं जो तुझ पर बरस जाऊँ ……
तुझे तकदीर बदलनी होगी मुझे पाने के लिए…

फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ “इश्क” मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है….!!


दिल की खामोशी से सांसों के रुक जाने तक ..
याद आएगा वो शख्स मुझे मर जाने तक ..

ये उनकी मोहब्बत का ... नया दौर है ..
जहां मैं कल था .... आज कोई और है ..

तुम्हें लगता होगा न .. कि कितना बुरा हूं मैं ..
लगने की बात है ... मुझे तो खुदा लगे थे तुम ..

उसे इश्क .. किसी और से .. भी हो गया था ..
और ये .. बात उसे भी ... बहुत सताती थी ..


हल्की सी हो चुकी है नाजुक सी पलके मेरी
मुद्दत बाद इन नजरों से गिरा है कोई ..

आखिर वो .. कौन सी ... शानो शौकत थी ..
जिसके आगे.. तुम्हें इतनी .. मोहब्बत भी कम लगी ..

बहुत थे मेरे भी चाहने वाले,
फिर इश्क़ हुआ और हम लावारिस हो गये..

प्यार इतना ही रखो की दिल सम्भल जाये,
अब इस कदर भी ना चाहो की दम निकल जाये..

दिल का मौसम कभी तो खुशगवार हो जाये,
एक पल को सही तुझे भी मुझ से प्यार हो जाये..

 हमारे दिल को कोई मांगने ही न आया,
किसी गरीब की बेटी का हाथ हो जैसे..

 खुशियों की चाह थी वहां बेहिसाब ग़म निकले,
बेवफा तू नहीं सनम बदनसीब तो हम निकले..

 अगर वो पूछ लें हमसे कहो किस बात का ग़म है,
तो फिर किस बात का ग़म है अगर वो पूछ लें हमसे..

 मै तो फना हो गया उसकी एक झलक देखकर ,
ना जाने हर रोज़ आईने पर क्या गुजरती होगी..

वो कहते थे हमारी मुस्कान बहुत अच्छी है,
वो सच ही कहते थे इसिलए तो अपने साथ वो हमें नहीं पर हमारी मुस्कान ले गये..

 कुछ लोग इतने गरीब होते है की,
देने के लिए कुछ नहीं होता तो धोखा दे देते है..

पहले तो बहुत शौक था तुमको मेरा हाल पूछने का,
तो बताओ अब क्या हुआ हम वो नही रहें या दिन वो नही रहें..

जिसको मेरा हाथ ... पकड़ना चाहिए था ..
वो मेरी एक .... गलती पकड़ बैठे हैं ..


उसे किसी से इश्क था ... और वो मैं नहीं था ..
ये बात मुझसे ... ज्यादा उसे रुलाती थी ..

तुम आए थे .. पता लगा ... सुनकर ..अच्छा भी लगा ..
पर गैरों से पता चला .. बेहद बुरा लगा ..

दोनों ही बातों से ... तेरी एतराज है मुझको ..
क्यों तू जिंदगी में आई ... और क्यों चली गई ..

कुछ तो है जो बदल गया है ... जिंदगी में मेरी ..
अब आईने में चेहरा मेरा हंसता हुआ नजर नहीं आता ..

दिल में घाव सा कर जाती हैं ... उनकी निगाहें ..
मुड़ मुड़ के देखने वाले ... जब देख कर मुड़ जाते हैं ..

आंखों को देखकर इंतजार का हुनर चला गया ..
चाहा था एक शख्स को .... ना जाने किधर चला गया ..

तुझको छू लूँ तो फिर जाने तमन्ना मुझको,
देर तक अपने बदन से तेरी ख़ुशबू आए..

 तुमको मेरे दिल ने पुकारा है बड़े नाज़ से,
अपनी आवाज़ मिला लो मेरी आवाज़ से..

 ले लो वापस वो आँसू वो तड़प वो यादें सारी,
नहीं कोई जुर्म हमारा तो फिर ये सजाएं कैसी..

दिया बनकर जिसने घर रोशन किया उसी ने घर जल दिया ,
धड़कन समझकर जिसे दिल में बसाया उसी ने दिल तोड़ दिया..

 मोहब्बत में बुरी नीयत से कुछ सोचा नहीं जाता,
कहा जाता है उसको बेवफा, समझा नहीं जाता..

 सब उसी के हैं, हवा, ख़ुशबू, ज़मीनओआसमां,
मैं जहां भी जाऊंगा, उसको पता हो जाएगा..

आज अजीब किस्सा देखा हमने खुदखुशी का,
एक शख्स ने ज़िन्दगी से तंग आकर महोब्बत कर ली..

 कल क्या खूब इश्क़ से मैने बदला लिया,
कागज़ पर लिखा इश्क़ और उसे ज़ला दिया..

 एक हमला हमारे दिल पे भी करदो,
तुम्हरी यादें अक्सर यहाँ घुसपैठ करती हैं..

 कभी तो आओ मेरे दर्द की तस्वीर देखने,
इसे बनाने वाले हाथ बेशक मेरे थे पर कारीगरी तुम्हारी थी..

तुम झूठ भी इतने .. दावे से बोलते थे की ..
साबुत होते हुए भी .. मानना पड़ता था मुझे ..


मिली होगी वो किसी को ... बिन मांगे ही ..
मुझे तो इबादत से भी .. उसका इंतजार मिला ..

कोई नही था और न होगा
तेरे जितना करीब मेरे दिल के

हर किसी को थोड़ी मोहलत मिल जाती है काम से,
मुझे थोड़ी सी भी मोहलत नही मिलती हैं तुम्हारे याद से

जो उनकी आँखों से बयां होते हैं,
वो लफ़्ज शायरी में कहाँ होते हैं

प्यार के दो मीठे बोल से खरीद लो मुझे,
दौलत दिखाई तो सारे जहां की कम पड़ेगी

इक छोटी सी ही तो हसरत है, इस दिल ए नादान की,
कोई चाह ले इस कदर कि, खुद पर गुमान हो जाए..

 तैरना तो आता था हमें मोहब्बत के समंदर में लेकिन,
जब उसने हाथ ही नहीं पकड़ा तो डूब जाना अच्छा लगा..

इजाज़त हो तो तेरे चहेरे को देख लूँ जी भर के,
मुद्दतों से इन आँखों ने कोई बेवफा नहीं देखा..

दिल भर गया हो तो मना करने में डर कैसा,
मोहब्बत में बेवफाओं पर मुकदमा कहाँ होता है..

 शिकायतों की पाईपाई जोड़कर रखी थी मैंने,
उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया..

 जो इश्क़ तकलीफ न दे वो इश्क़ कैसा,
और जो इश्क़ में तकलीफ न सहे वो आशिक़ कैसा..

 जिदंगी जब इम्तहान लेती है,
अकेला करके छोड़ देती है..

 ज्यादा कुछ नही बदलता उम्र बढने के साथ,
बचपन की जिद समझौतों मे बदल जाती है..

बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने,
कि इलज़ाम भले ही झूठे हो पर लगाये तो तुमने है..

 किसी रोज़ होगी रोशन, मेरी भी ज़िंदगी,
इंतज़ार सुबह का नही, किसी के लौट आने का है..

छलकता है कुछ इन आँखों से रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे होते है ..कुछ दर्द़ के लम्हें

खुश्बू आ रही हैं ताजे गुलाब की ।
लगता हैं जुल्फ़े खुली रह गयी हैं मेरे यार की ।।


लाऊंगा कहाँ से मैं जुदाई का हौसला,..
क्यों इस कदर मेरे करीब आ गए हो तुम,..

तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभालकर,
वरना मैं अभी दे दूँ, जिस्म से रूह निकालकर..!!

आशिकों की बस्ती में ये टूटा मकान किसका है,,
कहीं पे दिल कहीं पे जान ये बिखरा सामान किसका है,,

#कहती 🗣 है #उसकी 👉👩 बाँहो 💏 #मे 😍 ही #आऊँगी 😗
#इस ☝ नींद 👀 #के भी 😒 #नखरे 😌 हज़ार 😏 #है..!!


चलो अच्छा हुआ, धुंध पड़ने लगी वरना,
दूर तक तकती थी, ये आँखें उसको..!!

तुझको हुई ना खबर,न ज़माना समझ सका,
हम चुपके चुपके तुझ पे यूँ कई बार मर गये..

 तुझको चुन लिया है मैंने ज़िंदगी भर के लिये,
मैं कोई बेईमान नहीं कि रोज़रोज़ ईमान बदलूँ..

 जो ज़रा किसी ने छेड़ा छलक पड़ेंगे आँसू,
कोई मुझ से यूँ न पूछे तेरा दिल उदास क्यों है..

 सोचा था के किसी से प्यार न करेंगे हम,
बदल गया इरादा तुझे देखने के बाद..

 बड़ा अजीब सा ज़हर था उसकी यादों में,
सारी उम्र गुज़र गयी मुझे मरते मरते..

खुद से दिल भर भी जाये,
तुमसे भर जाये मुमकिन नहीं..

 मेरे अजीज़ ही न समझ पाए मुझे,
मै अपना दर्द किस्से कहता..

वो अल्फ़ाज़ ही क्या जो समझाने पड़े,
मैंने मोहब्बत की थी वकालत नहीं..

 पर्दा गिरते ही खत्म हो जाते हैं तमाशे सारे,
खूब रोते हैं फिर औरों को हँसाने वाले..

💕लोग पुछते है वजह ..#तेरे #मेरे करीब होने की .
बता दू उनको . मै इश्क हू वो मेरी आदत है ..💕

जिसे सोचते ही... चेहरे पे रंगत-ए-नूर आ जाए !!
कसम से.. इक ऐसा.... खूबसूरत सा ख्याल हो तुम !


हमारे पीर मीर तकी मीर ने कहा था कभी..
मियां.... ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है..

💕तेरी #आँखों में मेरा #इंतज़ार है तो #जता दो मुझे..
गर तुम्हें भी #इश्क़ है तो #खुलके बता दो मुझे...💞

नींदे उडा रख्खी है मेरी किसी ने....
ये कहकर की... तुम मुझे अच्छे लगते हो..😘😘

मैं जो बहक कर तुम्हारा नाम ले बैठूं,.. सुनो..
मुस्कुरा कर तुम मुकर सकती हो ...


घड़ी कब से पहनने लग गयी हो..?
यहां कंगन हुआ करते थे पहले..

कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी ,
हज़ारों अपने हैं मगर, याद तुम ही आते हो..

 आंसू निकल पडे ख्वाब मे उसको दूर जाते देखकर,
आँख खुली तो एहसास हुआ इश्क सोते हुए भी रुलाता है..

वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती,
ऐ खुदा.. सुना है कि उनके तो कान होते है..

 करीब आओगे तो शायद हमे समझलोगे,
ये दूरियाँ तो केवल फासले बढाती है..

 तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की बाजी हार गए हम?
अभी तो दाँव मे चलने के लिए मेरी जान बाकी है..

कह गई थी वो कभी ना आऊँगी,
रात में रोज़ आ जाती है ख्वाबों मेँ..झूठी कहीँ की..

 सिर्फ मेरा नाम लेकर रह गई,
आज वो जानेअनजाने बहोत कुछ कह गई..

 तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है,
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है..

 कुछ नही मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर ,
मेरा अपना साया मुझे धुप में आने के बाद मिला..

इससे ज्यादा और क्या सबूत दूँ अपने प्यार का
तेरी हर रद्दी से रद्दी Post को भी लाइक किया है

फूल रखिए ना रखिए,
किसी की राहों में, ..❣


पर लबों पे सब के लिए
दुआ जरूर रखिए..!!!

हम तुम्हे कभी खुदसे जुदा नही होने देंगे.. ❤️
तुम देर से मिले.. इतना नुकसान ही काफी है..😘
सुकून क्या है, मैं नहीं जानता,
शायद ये वो है,जो तुम्हारे पास आ के मिलता है..😊

ना छेड़ किस्सा ऐ उल्फत का"
"बड़ी लम्बी कहानी है"
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इश्क़ की दुनिया है जनाब यहाँ कुछ भी हो सकता है ..
दिल मिल भी सकता है और खो भी सकता है .

जब थक जाओ दुनियाँ की महफिलों से तुम,
आवाज देना हम अक्सर अकेले ही रहते हैं।

 मजबूरियाँ ला खड़ा करती है ऐसे मोड़ पर,
इंसान बुराईयाँ अपना लेता है अच्छाईयाँ छोड़कर…

 शक तो था मोहब्बत में नुक्सान होगा,
पर सारा हमारा होगा, ये मालूम न था …

कौन सी बात नई ऐ दिलएनाकाम हुई,
शाम से सुब्ह हुई सुब्ह से फिर शाम हुई..

 किसी की उम्र कटती है किसी का दिन गुजरता है,
एक मैं हूँ पलपल गुजर कर उम्र से हिसाब करती हूँ..

 वो जब अपने हाथो की लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गये,
सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ मेरे हो..

 कच्चे मकान देखकर किसी से रिश्ता ना तोडना दोस्तो ,
मिट्टी की पकड मजबूत होती है संगमरमर पर तो हमने अक्सर पैर फिसलते हुए देखा है..

 परिन्दों की फिदरत से आये थे वो मेरे दिल में ,
जरा पंख निकल आये तो आशियाना छोड़ दिया ..

 आज़ाद कर दिया हमने भी उस पंछी को,
जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहीन समजता था ..

जुदा होना इतना आसान होता,
तो जिस्म से रूह को लेने कभी फरिश्ते नही आते..

 वो कागज का पन्ना आज भी तेरी खुश्बू से महक रहा हैँ,
जिस पर कभी तुमने मजाक मे I Love You लिखा था..

मैं ज़हर तो पी लूँ शौक से तेरी खातिर,
मगर शर्त ये है कि, तुम सामने बैठ कर साँसों को टुटता देखो।

 हमें देख कर जब उसने मुँह मोड़ लिया,
एक तसल्ली हो गयी चलो पहचानते तो हैं।


 भला कौन इस दिल की इतनी देखभाल करे ,
रोज़ रोज तो इसके किस्मत में टूटना ही लिखा है ।

 जब मिलो किसीसे तो ज़रा दूर का रिश्ता रखना ,
बहुत तड़पते हैं अक्सर यह सीने से लगाने वाले।।

 कब ठीक होता है हाल किसीके पूछने से,
बस तस्सल्ली हो जाती है कोई फिकरमंद है अपना।।

 कितनी भी शिद्दत से तुम निभालो रिश्ते,
बदलने वाले तो एक दिन बदल ही जाते हैं||


महसूस कर रहे हैं तेरी लापरवाही कुछ दिनों से ,
याद रखना अगर हम बदल गए तो मनाना तेरे बस की बात ना होगी।।

गुस्सा भी सिर्फ उनसे ही हुआ जाता है,
जिनसे हमे यकीन है की मना लेंगे।।

कमाल का ताना दिया आज मंदिर में भगवान ने,
मांगने ही आते हो कभी मिलने भी आया करो..

रोती रही वो अपनी ख्वाइशें जला कर एे खुदा,
बस एक परींदा ही था, जो जल कर अपनी आहुती दे गया..

 क्या लिखूँ दिल की हकीकत आरज़ू बेहोश है,
ख़त पर हैं आँसू गिरे और कलम खामोश है..

 किसी को धोखा देकर ये मत सोचो की वो कितना बेवकूफ है,
ये सोचो की उसे तुम पर कितना भरोसा था..

मैं मुसाफ़िर हूँ ख़तायें भी हुई होंगी मुझसे,
तुम तराज़ू में मग़र मेरे पाँव के छाले रखना..

 यू पलटा मेरी किस्मत का सितारा,
उसने भी छोड़ दिया और अपनों ने भी..

 इतना संभाल के तो लोग हीरे जवाहरात भी नहीं रखते,
जितनी की हमने तेरी यादें संभाल के रखी है..

अचानक चलते चलते पीछे मुडके देखा तो ,
कुछ यादें मुस्करा रही थी और कुछ रिश्ते दम तोड़ रहे थे..

 मेरी महफूज़ नींद के लिए कोई सारी रात बर्फ के शिखर पर खड़ा था,
भौं भौं करके नींद उड़ाने वाला कुत्ते दुश्मनों के हक़ में बोल रहे थे..

 शिकायत तो नही लेकिन इतना जरुर पूछना चाहता हूँ जमाने से,
आखिर वो क्या करे जो जमाने के ही जुल्म से मजबूर हो जाये ..

 लिखती हूँ सिर्फ़ खुद को बहलाने को,जानती हूँ ,
उनके पास मेरे अल्फाज़ पढ़ने की फुर्सत नहीं।

हज़ारों महफ़िल है, लाखों मेले हैं ,
पर जहाँ तुम नहीं, समझ लेना हम अकेले हैं..

हमारे शहर आ जाओ , सदा बरसात रहती है,
कभी बदल बरसते हैं , कभी आखें बरसती हैं..


कुछ तो बात ज़रूर है मोहब्बत में ,
वर्ण कोई एक लाश के लिए ताज महल न बनवा देता।

 हमनें हाथ फैला कर इश्क मांगा था,
सनम ने हाथ चूमकर जान निकाल दी..

 जानते हो मेरे लिए” क्या हो तुम”,
मेरी मुद्दतों की तलाश पर पूर्ण विराम हो..
 है इश्क तो फिर असर भी होगा,
जितना है इधर , उधर भी होगा..


लोग कहते हैं मोहब्बत इतनी करो की दिल सवार हो जाये ,
हम कहते हैं की मोहब्बत इतनी करो की बेवफा को भी प्यार हो जाये..

 सामने बैठे रहो दिल को करार आएगा ,
जितना देखेंगे तुम्हे उतना ही प्यार आएगा ..

 छोड़ दिया हमने तेरे ख्यालों में जीना ,
अब हम लोगों से नहीं , लोग हमसे मोहब्बत करते। ..
 कोई भी रिश्ता ना होने पर भी जो रिश्ता निभाता हैं,
वो रिश्ता एक दिन दिल की गहराइयों को छू जाता हैं..

 खामोश रहने दो लफ़्ज़ों को, आँखों को बयाँ करने दो हकीकत,
अश्क जब निकलेंगे झील के, मुक़द्दर से जल जायेंगे अफसाने..

वो जिसकी याद मे हमने खर्च दी जिन्दगी अपनी,
वो शख्श आज मुझको गरीब कह के चला गया..

 मोहब्बत खुद बताती हैं कहां किसका ठिकाना है,
किसे ऑखों में रखना है,किसे दिल मे बसाना है..

किसी रिश्ते में निखार, सिर्फ अच्छे समय में हाथ मिलाने से नहीं आता,
बल्कि नाज़ुक समय में हाथ थामने से आता है..

 जबरदस्ती मत मांगना साथ कभी ज़िन्दगी में किसी का,
कोई ख़ुशी से खुद चलकर आये उसकी ख़ुशी ही कुछ और होती है..

 दिल की ख़ामोशी पर मत जाओ,
राख के नीचे आग दबी होती है..

 करनी है तो दर्द की साझेदारी कर ले,
मेरी खुशियों के तो दावेदार बहुत हैँ..

ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ हूं मगर इतना बताता हूं,
वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं जिनका मैं आशिक हूं..

 तारीफ़ अपने आप की, करना फ़िज़ूल है,
ख़ुशबू तो ख़ुद ही बता देती है, कौन सा फ़ूल है..


 ज़ाया ना कर अपने अल्फाज़ हर किसी के लिए,
बस ख़ामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है..

 शायद इश्क अब उतर रहा है सर से,
मुझे अलफ़ाज़ नहीं मिलते शायरी के लिए..

मत ढूढ़ना मुझे इस जहाँ की तन्हाई में,
ठण्ड बहुत हैं मैं हूँ अपनी रजाई में.

 जाड़े की रुत है नई तन पर नीली शाल
तेरे साथ अच्छी लगी सर्दी अब के साल.


समझ में नही आता, सारी रात गुजर जाती हैं,
रजाई में हवा किधर से घुस जाती हैं.

 इश्क़ जिस्म से नही रूह से किया जाता है,
जिस्म तो एक लिबास है, ये हर जनम बदल जाता है..

जितना हीं मेरा मिज़ाज है सादा,
उतने हीं मुझे उलझे हुए लोग मिले..

 ख्वाब सा था साथ तुम्हारा,
ख्वाब बन के रह गया..

 रोज़ रोज़ गिर कर मुकम्मल खड़ा हूँ,
ज़िन्दगी देख में तुझसे कितना बड़ा हूँ..

 जिसे पा नही सकते..
उसे सोचकर ही खुश होना ‘इश्क’ हैं..

 कभी सोचता हूँ की सारे हिसाब चुकता कर आउ,
लेकिन फिर ख्याल आता है कि आसुओ की कीमत लाख गुना अधिक होती है..

 ये चांद की आवारगी भी यूंही नहीं है,
कोई है जो इसे दिनभर जला कर गया है..

क्यों दिल मचलता है तुम्हें पाने को अब तक,
जबकि बेबसी से वो भी अनजान नहीं है!

भले ही लोग मुझे याद रखें कहके शायर,
पर अल्फ़ाज़ों के राज़ मेरे मालूम हैं मुझे..

 ठण्ड में वादा नही करते कि दोस्ती निभायेंगे,
जरूरत पड़ी तो सब कुछ ले लो, पर रजाई न दे पायेंगे.

 बड़ी बेवफ़ा हो जाती है , ये घड़ी भी सर्दियों में,
5 मिनट और सोने की सोचो तो, 30 मिनट आगे बढ़ जाती है.

नहीं बस्ती किसी और की सूरत अब इन आँखों में,
काश की हमने तुझे इतने गौर से ना देखा होता ..


 ये मत सोचना कि तुम्हारे बिना मर जायेंगे हम,
वो लोग भी जी रहे हैं जिन्हें छोड़ा था मैंने तुम्हारी खातिर..

दुनिया मे मोहब्बत आज भी बरकरार है,
क्योंकि एकतरफा प्यार अब भी वफादार है..

 दो शब्दों में सिमटी है मेरी मुहब्बत की दास्तान,
उसे टूट कर चाहा और चाह कर टूट गये।

 अब कहाँ जरुरत है हाथों में पत्थर उठाने की​​,
​​तोड़ने वाले तो दिल जुबां से ही तोड़ दिया करते है।


दर्द देने का तुझे भी शौक़ था बहोत,
और देख हमने भी सहने की इन्तेहा कर दी !!

चलो बहुत हुई दरियादिली अब कोरे कागजों पे,
जरा अँधेरी रात के बाँहों में भी कुछ वक्त गुज़ार लें..

माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं,
लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तनहा गुजरता है ..

 गलतियाँ हो अगर लिखने में तो गौर न करना,
तुम बस मेरे जज्बात पढ़ लेना..

 तोहमते तो लगती रही रोज नई नई, हम पर,
मगर जो सबसे हसीन इलजाम था, वो तेरा नाम था..

तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है,
ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती..

 ये कैसा सिलसिला है, तेरे और मेरे दरमियाँ,
फ़ासले भी बहुत हैं और मुहब्बत भी..

 दुनिया के जो मज़े हैं वह कभी कम न होंगे,
चर्चे यूं ही रहेंगे पर अफ़सोस हम न होंगे..

क्या खबर तुमने कहाँ किस रूप में देखा मुझे,
मै कहीं पत्थर,कहीं मिट्टी और कहीं आईना थी..

 अफ़सोस होता है उस पल जब अपनी पसंद कोई ओर चुरा लेता है,
ख्वाब हम देखते है और हक़ीक़त कोई और बना लेता है..

मैं डूब के उभरा तो बस इतना ही देखा है,
औरों की तरह तू भी किनारे पे खड़ा था..

 चलो छोडो यार!मुहब्बत के फसाने,
ये बताओ बेवफ़ाई का बाजार कैसा हैं..

 बेवजह तो खामोश नही है जबान ,
कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं जो आवाज भी छींन लिया करते हैं ..


 अदायें सीख लीं तुमनें,नज़रों से क़त्ल करने की,
मगर तालीम न सीखी,किसी से इश्क़ करने की..

 इस दिल मे प्यार था कितना वो जान लेते तो क्या बात होती,
हमने माँगा था उन्हें ख़ुदा से वो भी माँग लेते तो क्या बात होती..

 तेरी दिलजारी का अंदाज भी गजब था,
अपना कभी बनाया नहीं,गैरो का होने ना दिया..

रूठा अगर तुझसे तो इस अंदाज से रूठूंगा ,
तेरे शहर की मिट्टी भी मेरे बजूद को तरसेगी..

 सुनो! या तो मिल जाओ, या बिछड जाओ,
यू सासो मे रह कर बेबस ना करो..


तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है,
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है..

मत बहा आंसू बेकदरो के लिए,
जो कदर करते हैं बो कभी रोने नहीं देते..

तेरे हर झूट सच मान लिया मेने,
कुछ इस तरह प्यार पर ऐतबार कर लिया मेने..

जितनी मोहब्बत मिली सारी बाँट दी दुनिया वालों को,
जब मैंने झोली फैलाई तो किसी ने दर्द के सिवा कुछ न दिया..

 उनकी चाल ही काफी थी इस दिल के होश उड़ाने के लिए,
अब तो हद हो गई जब से वो पाँव में पायल पहनने लगे..

 न तेरी अदा समझ में आती है ना आदत ऐ ज़िन्दगी,
तू हर रोज़ नयी सी,हम हररोज़ वही उलझे से..

 जिस में जान है उसको कपडे भी नसीब नहीं,
जो बेजान है उसकी शान देखो..

दुआ कोन सी थी हमें याद नहीं,
बस इतना याद है दो हथेलियाँ जुड़ी थी एक तेरी थी एक मेरी थी..

 तेरी बेरूखी का अंजाम एक दिन यही होगा,
आखिर भूला ही देंगे…तुझे याद करते करते..

 लोगो ने कुछ दिया, तो सुनाया भी बहुत कुछ,
ऐ खुदा एक तेरा ही दर है, जहा कभी ताना नहीं मिला..

तुम ना आ सके तो मजबूरी बता दिया,
और हम ना आ सके तो हमें किसी और कि बता दिया..

 टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया,
वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी..

 ज़माने को बोल देता हूँ भूल गया हूँ उसे,
पर हकीकत तो बस मुझे और मेरे दिल को पता है..


आ देख मेरी आँखों के ये भीगे हुए मौसम,
ये किसने कह दिया कि तुम्हें भूल गये हम।

 जो कदर नहीं करते उनके लिये लोग रोते हैं,
और जो हर किसी की कदर करते हैं लोग उन्हें अक्सर रुलाते हैं..

 ख्वाहिशें थीं चाँद तारे तोड़ लाने की मगर,
देख लो बिखरा पड़ा है वो जमीं पर टूट कर।

आईना फैला रहा है खुदफरेबी का ये मर्ज,
हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नहीं।

 तुम्हारा नाम लेने से मुझे सब जान जाते है,
मैं वो खोया हुआ चीज हूँ,जिसका पता तुम हों..


नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर,
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।

 रहा यूँ ही नामुकम्मल ग़मएइश्क का फसाना,
कभी मुझको नींद आई कभी सो गया ज़माना।

काश तुम समझ पाती मेरी मोहब्बत की इन्तेहाँ तो,
हम तुमसे नही तुम खुद हमसे मुहब्बत करने लगते..

तूने मेरा तकाजा देखा है, कभी सब्र भी देख,
मैं इतना खामोश हो जाऊंगा के तू चिल्ला उठेगा..

 कुछ तो शराफत सीख ले ऐ मोहब्बत, शराबसे,
बोतल पे कम से कम लिखा तो है कि मैंजानलेवा हूँ..

 मुझे जिंदगी का तजूर्बा तो नहीं पर इतना मालूम है,
छोटा इंसान बडे मौके पर काम आ सकता है..

बदल जाती है जिंदगी की सच्चाई उस वक्त,
जब कोई तुम्हारा..तुम्हारे सामने..तुम्हारा नहीं होता..

 लगता है आज ज़िन्दगी कुछ ख़फ़ा है,
चलिए छोड़िये कौन सी पहली दफ़ा है..

 शब्द मुफ़्त में मिलते है, लेकिन उनके चयन पर निर्भर करता है,
की उनकी क़ीमत मिलेगी या चुकानी पड़ेगी..

 क्या पानी पे लिखी थी मेरी तकदीर मेरे मालिक,
हर ख्वाब बह जाता है, मेरे रंग भरने से पहले ही..

 बाकी महीने तुम्हें भुलने की जितनी कोशिश करते हैं,
एक महीने की ये सावनवषॉ उनसब पर पानी फेर जाती हैं..

 अब हिचकियाँ आती हैं तो पानी पी लेते हैं..
ये वहम छोड़ दिया कि कोई याद करता है !!

 नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,
तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है।

किसी का कत्ल करने पर सजाएमौत है लेकिन,
सजा क्या हो अगर दिल कोई किसी का तोड़ दे?


 दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे,
ऐसे माहौल में अब किसको पराया समझें।

 तेरी मोहब्बत को कभी खेल नहीं समझा ,
वरना खेल तो इतने खेले है मैंने कि कभी भी हारा नहीं

गलत कहते है लोग कि संगत का असर होता है
वो बरसों मेरे साथ रही फिर भी बेवफ़ा निकली यारो..

 इंतजार इजहार इबादत सब तो किया मैंने
और कैसे बताऊ प्यार कि गहराई क्या हैं ..

 सुलगती रेत में पानी की अब तलाश नहीं,
मगर ये कब कहा हमने के हमें प्यास नही..


 किसी से प्यार करो और तजुर्बा कर लो,
ये रोग ऐसा है जिसमें दवा नहीं लगती..

 वफाओं से मुकर जाना हमे आया नहीं अब तक,
जिन्हें चाहत की क़द्र नहीं हम उनसे ज़िद नहीं करते..

 दिल में ना हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती,
खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती..

माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी,
मतलब ये तो नहीं कि, सुलगते नहीं हैं हम..

तू भी तो आइने की तरह बेवफा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया..

तू आए और आकर लिपट जाए मुझसे,
उफ्फ ये मेरे महंगे महंगे ख्वाब..

 नही छोड़ी कमी किसी भी रिश्ते को निभाने में मेने कभी,
आने वाले को दिल का रास्ता भी दिया , और जाने वाले को रब का वास्ता भी दिया..

 दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो,
ये ओर बात है कि किस्मत दग़ा कर गयी..

टूट कर बिखर जाते है वो लोग मिट्टी की दीवारो कि तरह,
जो खुद से भी ज्यादा किसी और से मुहब्बत किया करते है..

 सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो ,
मुझे भी अपनी ज़िद्द बना लो..

 दुनिया कितनी ही आगे क्यों न बढ़ जाए ,
मगर वो छुप छुप के मिलने वाली मोहब्बत का मज़ा ही कुछ और है..

 बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है..

 इश्क़ पाने की तमन्ना में कभी कभी ज़िंदगी खिलौना बन कर रह जाती है,
जिसके दिल में रहना चाहते हैं, वो सूरत सिर्फ याद बन कर रह जाती है..

 उसे किस्मत समझ कर सीने से लगाया था,
भूल गए थे के किस्मत बदलते देर नहीं लगती..

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी,
बड़ा बेअदब हूँ सज़ा चाहता हूँ..


 तुम मेरी आँख के बारे में बहुत पूछते हो ना,
ये वो खिड़की है, जो दरिया की तरफ़ खुलती है..

 हमें भी आते है अंदाज़ दिल तोड़ने के,
हर दिल में ख़ुदा बसता है यही सोचकर चुप हूँ..

 स्याही भरी कलम से, कागज़ में था ग़म,
बयां हाल उनने पढ़ा, आँखे हो गई नम..

 मुझे भी पता है कि तुम मेरी नहीं हो,
इस बात का बार बार एहसास मत दिलाया करों..


देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है,
बस इतनी से बात आदमी को इंसान बनाती है..

 भरे बाजार से अक्सर ख़ाली हाथ ही लौट आता हूँ,
पहले पैसे नहीं थे अब ख्वाहिशें नहीं रहीं..

कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ,
कि खुदा नूर भी बरसाता है,आज़माइशों के बाद..

निहार रहा था उसके चेहरे की खुली किताब को,
कमबख्त बोल बैठी देखो जी नक़ल करना जुर्म है..

बदलते लोग,बदलते रिश्ते और बदलता मौसम,
चाहे दिखाई ना दे मगर महसूस जरूर होते है..

 तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम बोलो,
बस चंद लकीरों में छिपे अधूरे से कुछ किस्से हैं..

 सख़्त हाथों से भी छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ,
रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं..

 चाहे लाख शिकायते हो उनसे लेकिन,
उनके जरा सा हाल पूछने पर हम सब कुछ भूल जाते..

 कुछ जख्म सदियों बाद भी ताजा रहते है,
वक़्त के पास हर मर्ज़ की दवा नहीं होती..

 किन लफ़्ज़ों में बंया करूँ मैं अपने दर्द को,
सुनने वाले तो बहुत है मगर समझने वाला कोई नही..

 हमारे सीने पर भी ख़ुश्बू ने सर रक्खा था ए दोस्तो,
हमारी बाँहों में भी कभी फूलों की डाली रही..

 परवाह नही चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो,
चलुंगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो..

वो प्यार भी किस काम का जिसमें हर बात,
को यकीन दिलाने के लिए कसम खानी पढ़े..

 अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का,
कि मुझे भूल जाओ तो मानूँ मोहब्बत है..

 वो रोई तो जरूर होगी खाली कागज़ देखकर,
ज़िन्दगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने ख़त में..

 इलाज़ अपना कराते फिरते हो जाने किस किस से
मोहब्बत करके देखो ना मोहब्बत क्यों नही करते..


 इस खुरदुरी ग़ज़ल को न यूँ मुँह बना के देख,
किस हाल में लिखी है मिरे पास आ के देख..

 हो सके तो साथ रहना तुम,
दिन चाहे बुरे हो या अच्छे मेरे..

 ताकत अपने लफ़्ज़ों में डालों, आवाज़ में नहीं,
क्योंकि फसल बारिश से उगती है,बाढ़ से नहीं..

 थाम लो हाथ उसका जो प्यार करे तुमसे,
ये जिन्दगी ठहरेगीं नहीं गुजर जायेगी..


बदन की मज़बूरी है तो सो लेते है ,
वरना साहब दिल को आजकल कहा नींद आती है..

 आज सड़क पर निकले तो तेरी याद आ गई,
तूने भी इस सिग्नल की तरह रंग बदला था..

रखा करो नजदीकियां, ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं,
फिर मत कहना की चले भी गए और बताया भी नहीं..

बजाए सीने के आँखों मे दिल धड़कता है,
ये इंतज़ार के लम्हे भी बड़े अजीब होते है..

 मंजिल पर पहुंचकर लिखूंगा मैं इन रास्तों की मुश्किलों का जिक्र,
अभी तो बस आगे बढ़ने से ही फुरसत नही..

 मुझे जिंदगी का तजूर्बा तो नहीं पर इतना मालूम है,
छोटा इंसान बडे मौके पर काम आ सकता है..

तुम्हारी आवाज़ सुन लूँ तो मिल जाता है सुकून दिल को ,
के ग़मों का इलाज भी कितना सुरीला है ..

 उसकी हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले ,
काश उसको भी मेरी किस्मत में लिखा होता..

 बजाए सीने के आँखों मे दिल धड़कता है ,
ये इंतज़ार के लम्हे भी बड़े अजीब होते है ..

 उस वक़्त भी अक्सर तुझे हम ढूंढने निकले ,
जिस धुप मे मज़दूर भी छत पे नहीं जाते ..

 सब कुछ तो है क्या ढूंढती रहती हैं निगाहें ,
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यों नहीं जाता ..

 मोहब्बत भी कटी पतंग जैसी ही है जनाब,
गिरती वहीं है जिसकी छत बड़ी होती है..

एक जैसे दोस्त सारे नही होते,
कुछ हमारे होकर भी हमारे नहीं होते,

आपसे दोस्ती करने के बाद महसूस हुआ,
कौन कहता है ‘तारे ज़मीं पर’ नहीं होते ..


 न जाने सालों बाद कैसा समां होगा,
हम सब दोस्तों में से कौन कहा होगा,

फिर अगर मिलना होगा तो मिलेंगे ख्वाबों मे,
जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबों मे ..

 शायद फिर वो तक़दीर मिल जाये जीवन के वो हसीं पल मिल जाये,
चल फिर से बैठें वो क्लास कि लास्ट बैंच पे शायद फिर से वो पुराने दोस्त मिल जाएँ ..

मैंने समुन्दर से सीखा है जीने का सलीका,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना..


 सख़्त हाथों से भी छूट जाती हैं कभी कभी उँगलियाँ,
रिश्ते ज़ोर से नही तमीज़ से थामने चाहिए..

 जिनके पास अपने है वो अपनों से झगड़ते हैं,
नहीं जिनका कोई अपना वो अपनों को तरसते है..

हमारी शायरी पढ़ कर बस इतना सा बोले वो ,
कलम छीन लो इनसे .. ये लफ्ज़ दिल चीर देते है ..

तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..

 घर के बहार ढूंढता रहता हुँ दुनिया,
घर के अंदर दुनियादारी रहती है..

 कोई ज़रुरत नहीं किसी को याद आऊं मैँ,
कोई मुझे याद आ रहा है यही बहुत है..

फिरते रहते हो तुम ज़माने की तलाश मे,
बस हमारे लिए ही तुमको वक़्त नहीं मिलता ..

निकले थे इस आस पे किसी को बना लेंगे अपना ,
एक ख्वाहिश ने उम्र भर का मुसाफिर बना दिया..

 रूलाया ना कर हर बात पर ए जिन्दगी,
जरूरी नही सबकी किस्मत मे कोई चुप कराने वाला हो..

मोहब्बत ज़िंदगी बदल देती है,
मिल जाए तो भी ना मिले तो भी..

 जो दिल से सच्चे होते है ना,
कसम से मकान उनके ही गिरते है..

आनंद लूट ले बन्दे,प्रभु की बन्दगी का,
ना जाने कब छूट जाये,साथ जिन्दगी का..

 किसी रोज़ होगी रोशन, मेरी भी ज़िंदगी,
इंतज़ार सुबह का नही, किसी के लौट आने का है..


 हमसे क्या खाक उलझेगा ये जमाना,
हम तो इश्क़ कर खुद को वैसे ही उलझाये बैठे है..

झुठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं,
तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती..

किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं,
मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगे हो तुम..

 अब हर कोई हमें आपका आशिक़ कह के बुलाता है,
इश्क़ नहीं न सही मुझे मेरा वजूद तो वापिस कीजिए..

राहेज़िन्दगी में यह कहानी सभी की है,
हमराज़ कोई और है, हमसफ़र कोई और है..


दर्द का कहर बस इतना सा है,
के आँखें बोलने लगी ,आवाज़ रूठ गयी..

 कहाँ किस हाल में रहा तेरे रूठ जाने के बाद,
घर लौट ही आते हैं परिंदे मौसम बदल जाने के बाद..

 बारिश भी नाराज है आजकल हमारे शहर में,
सुना है.. वो छत पे भीगने नही आते..

तू याद रख, या ना रख,
तू याद है, ये याद रख..

ना जाने क्यों तुझे देखने के बाद भी,
तुझे ही देखने की चाहत रहती है..

 इतना भी ना चाहो किसी को ,वो चला जाये,
और ज़िन्दगी बेरंग , बोझिल, और गुमनाम हो जाए..

उसकी हसरत है मुझे बर्बाद होते देखे,
और मेरी तमन्ना है की में आबाद हो जाऊ..

पथ्थर समझ के हमें मत ठुकराओ ,
कल हम मंदिर में भी हो सकते हैं ।

तुम नफरतों के धरने,क़यामत तक ज़ारी रखो।
मैं मोहब्बत से इस्तीफ़ा,मरते दम तक नहीं दूंगी।

अजीब रंगों में गुज़री है मेरी ज़िन्दगी,
दिलों पे राज किया पर मुहब्बत को तरस गए..

उम्र ने तलाशी ली, तो जेबों से लम्हे बरामद हुए..
कुछ ग़म के, कुछ नम थे, कुछ टूटे, कुछ सही सलामत थे..

काश के कभी तुम समझ जाओ मेरी चाहत की इन्तहा को,
हैरान रह जाओगे तुम अपनी खुशनसबी पर..

 मैं नाराज़गी में बात करना छोड़ सकता हूँ,
मगर मुहोब्बत करना नही छोड़ सकता..

कुछ वक़्त खामोश हो के देखा,
लोग सच में भूल जाते हैं..


तुम थक तो नहीं जाओगे इन्तेजार में तब तक,
मैं मांग के आऊं खुदा से तुम को जब तक..

 नाम तेरा ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर,
कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए तो भी दिल धड़क जाता है..

 मैंने इज़हार तो किया ही नहीं,
जरूर उसने आँखों को पढ़ लिया होगा।..

माना की दूरियाँ कुछ बढ़ सी गयीं हैं,
लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है..

 जब जरुरत के समय काम आने वाला अपना ही पैसा बदल जाता है,
तो अपनों की बात करें..


दुःख इस बात का नही है की किसी को प्यार किआ और उसने धोखा दिया,
दुःख इस बात का है उसके लिए दःखी क्यों हूँ ..

जब जब खुद पर यकीन किया है हमने,
तब तब जिन्दगी ने असली रंग दिखाए हैं अपने

खुदखुशी करने से मुझे कोई परहेज नही है,
बस शर्त इतनी है कि फांसी का फंदा तेरे डुपट्टे का हो..

दौलत और शोहरत का क्या करना है मुझे,
मेरे दोस्तों का सहारा ही काफी है जिन्दगी में !!

मत रख हमसे वफा की उम्मीद, हमने हर दम बेवफाई पायी है,
मत ढूंढ हमारे जिस्म पे जख्म के निशान, हमने हर चोट दिल पे खायी है..

नजाकत ले के आँखों में, वो उनका देखना तौबा,
या खुदा, हम उन्हें देखें कि उनका देखना देखें..

क्या इल्जा़म लगाओगे मेरी आशिकी पर,
हम तो सांस भी तुम्हारी यादों से पूछ कर लेते है..

अब तो दुश्मन सी लगती है मेरी परछाई,
कम्बख्त़ उस बेवफा की तरह अंधेरे मे साथ छोड़ गयी..

 जहाँ से तेरी बादशाही खत्म होती है..
वही से मेरी नवाबी शुरु होती है..

 इस अजनबियों के शहर में, मुझे अजनबी हीं रहने दो
दो क़दम के ही सही, मग़र फ़ासले रहने दो

लिखा जो ख़त हमने वफ़ा के पत्ते पर,
डाकिया भी मर गया शहर ढूंढते ढूंढते..

इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है….
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर !

उसने पूछा ज़िन्दगी किसने बर्बाद की तुम्हारी….
उठाई हमने ऊँगली और अपने ही दिल पे रख दी।

धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल,
अभी तो पलकें झुकाई है मुस्कुराना अभी बाकी है उनका..


आजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद से,
मगर, वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी..

बदनसीब हूँ मै जो तुझे खरीद न पाया,
खुसनसीब हो तुम जो चन्द रुपयों में बिक गए..

तकदीर ने यह कहकर बङी तसल्ली दी है मुझे कि..
वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे, जिन्हें मैंने दूर किया है..

अनजान अपने आप से वह शख्स रह गया..
जिसने उमर गुज़ार दी औरों की फ़िक्र में..

 तुम हज़ार बार भी रुठोगे तो मना लूंगी तुमको मगर,
शर्त ये है कि मेरे हिस्से की मुहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो..

हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है।
उन्हे कैसे समझाऊ की एक ख्वाब अधुरा है मेरा… वरना जीना तो मुझे भी आता है.

 रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर,
किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया|

वो चाहते है जी भर के प्यार करना,
हम सोचते है
वो प्यार ही क्या जिससे जी भर जाये..

काश तू मुझसे बस इतनी सी मोहब्बत निभा दे
जब मै रुठु तो तू मुझे मना ले !

अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का,
कि मुझे भूल जाओ तो मानूँ मोहब्बत है!

कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में,
कभी कभी मेरी खामोशियाँ भी पढ लिया करो…!!

ये तो इश्क़ का कोई लोकतंत्र नहीं होता,
वरना रिश्वत देके तुझे अपना बना लेता!!

 नजरंदाज उन्हें करू जो नजर के सामने हो,
उनका क्या करू, जो दिल में बस गए है..

 वक्त ही नहीं मिलता मुझे दुखी होने का क्योंकि,
उम्मीद ही नहीं करता मैं ज्यादा खुशी की..


तेरी दुआओ का दस्तुर भी अजब है मेरे मौला..
मुहब्बत उन्ही को मिलती है जिन्हे निभानी नही आती..

किस “जुर्म में छीनी गई “मुझसे मेरी हँसी,,,
मैने तो किसी का “दिल दुखाया भी ना था

जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दुंगा ,
पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है..

 हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती.

अच्छा लगता है तेरा नाम मेरे नाम के साथ,
जैसे कोई खूबसूरत सुबह जुडी हो किसी हसीं शाम के साथ..

लाजमी तो नही है कि तुझे आँखों से ही देखूँ..
तेरी याद का आना भी तेरे दीदार से कम नही..

सिरफिरे होते हैं इतिहास वो ही लिखते हैं..
समझदार तो सिर्फ उसे पढते हैं..।।

एक हम हैं जो सिर्फ़ उन्हीं से प्यार करते हैं,
एक वह हैं जिन्हें इस ग़रीब पर ऐतबार नहीं!

क्या ऎसा नहीं हो सकता के हम तुम से तुमको माँगे ?
और तुम मुस्कुरा के कहो के अपनी चीजें माँगा नहीं करते..

हुस्न की मल्लिका हो या साँवली सी सूरत…!!
इश्क अगर रूह से हो तो हर चेहरा कमाल लगता है…!!

अंदाज़ कुछ अलग ही हे मेरे सोचने का ,
सब को मंज़िल का शौख हे, मुझे रास्ते का ..।

न जख्म भरे,न शराब सहारा हुई,
न वो वापस लौटी न मोहब्बत दोबारा हुई..

बरकरार रख तू अपना हौंसला हर कदम पर
पत्थरों पर अभी किस्मत आजमाना बाकी है..

हम क्या हे वो सिर्फ हम ही जानते हे,
लोग तो सिर्फ हमारे बारे में अंदाज़ा लगा सकते हे !!


बाज़ार में बिकी हुई चीजों की माँग है
हम इस लिये ख़ुद अपने ख़रीदार हो गये..

दोस्ती का ये हुनर भी आजमाना चाहिए,
जंग अगर अपनों से हो तो हार जाना चाहिए..

फिर से मिलने का वादा तो उनके मुँह से निकल ही गया,
जब हमने जगह पुछी तो कहने लगे ख़्वाबों में आते थे आते रहेंगे..!

अब न ख्व़ाबों से, ख़िलौनों से, बहल पाऊँगा,
वक़्त गुम हो गया, मुझसे मेरा बचपन लेकर

जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया…
एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया…!

मुझे अपने लफ़्जो से आज भी शिकायत है,
ये उस वक़त चुप हो गये जब इन्हें बोलना था…

ज़रा सी बात पे ना छोड़ना किसी का दामन
उम्रें बीत जाती हैं दिल का रिश्ता बनाने में ….

मुझसे ‘नफरत’ तभी करना
जब आप मेरे बारे मे ‘सब कुछ’ जानते  हो
तब नहीं जब किसी से ‘कुछ’ सुना हो ।

मैं कई अपनों से वाक़िफ़ हूँ
जो पत्थर के बने हैं !!!


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